मुंबई : सीसी प्लस 8 प्लस 2 टन और 25 टन एक्सेल लोड ट्रेनों की अतिरिक्त लोडिंग की अनुमति के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं. हालांकि यह दुष्परिणाम त्वरित प्रभाव से सामने आ गए थे, जब इसकी अनुमति दी गई थी. परंतु तब रिकार्ड में यह बातें दर्ज नहीं थीं. अब बाकायदा इन दुष्परिणामों को रिकार्ड किया गया है. जो कि पूर्व मेंबर इंजीनियरिंग (एमई) श्री एस. के. विज द्वारा 5 फरवरी 2009 को पूर्व एवं दक्षिण पूर्व रेलवे, कोलकाता के निरीक्षण दौरे की रिपोर्ट से स्पष्ट है. लालू की 'मैनेज नीतियां' भारतीय रेल का बंटाधार कर रही हैं. यह बात अब सही साबित हो रही है और अब यह भा.रे. के रिकार्ड में भी दर्ज हो रही है. लालू के जाते ही अभी तो उनकी मैनेज नीतियों का आगाज होना शुरू हुआ है. अभी तो उनके मैनेज आंकड़ों की पोल भी खुलेगी. जो कि उन्होंने पूरे दंभ के साथ भारतीय रेल का कथित कायाकल्प कर देने के बारे में कहा था. इसके साथ ही इस बात की भी पोलें खुलेंगी कि उन्होंने और उनके लोगों ने पिछले पांच वर्षों में भा.रे. को किस-किस तरह से लूटा...?
खैर, फिलहाल बात हो रही है श्री एस. के. विज के निरीक्षण रिपोर्ट की. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसी प्लस 8 प्लस 2 टन लोडिंग और 25 टन एक्सेल लोड वाली ट्रेनों की अनुमति दिए जाने से यह तो सही है कि रेलवे के आय में वृद्धि हुई है. इसके अलावा भी व्यवस्थित व्यवस्था और हायर स्पीड से इसमें कुछ और वृद्धि संभव हो सकती है. परंतु इसके चलते रोलिंग स्टाक, ट्रेक और ब्रिजों का जो भारी नुकसान हो रहा है, वह अत्यंत चिंता का विषय है. इसके अलावा अतिरिक्त लोडिंग पर सतत नजर रखने की अवश्यकता है.
ध्यान रहे 'रेलवे समाचार' ने पहले ही लिखा है कि अतिरिक्त अनुमति के अलावा भी अतिरिक्त लोडिंग जारी है और जो अतिरिक्त लोडिंग की अनुमति दी गई है, वह वास्तव में 'ओवर लोडिंग' के रूप में पहले से ही जारी थी. मगर जीएम कांफ्रेंसों में इंजीनियरिंग और मैकेनिकल विभागों के उच्च अधिकारियों की कड़ी आपत्तियों के मद्देनजर तब इन पर कुछ अंकुश रहता था. उसी 'ओवर लोडिंग' को सीसी प्लस फोर प्लस एट प्लस टू टन में बदला गया था, परंतु इसके बावजूद पहले से चल रही उक्त 'ओवर लोडिंग' 'अतिरिक्त' के भी 'अतिरिक्त' हो गई है, जिसके दोहरे दुष्परिणाम अब सामने हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त के अलावा 'अतिरिक्त' (ओवर) लोडिंग पर सतत नजर (क्लोज विजिलेंस) रखे जाने की आवश्यकता है क्योंकि बड़ी संख्या में वैगन बियरिंग्स के टूटने/फेल होने के मामले सामने आ रहे हैं. इसके अलावा इंजनों की ट्रेक्शन मोटरों के बड़ी मात्रा में फेल होने के मामले हो रहे हैं. इनकी संख्या भी लगातार बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एडिशनल डायनामिक लोड्स और अन्य प्रकार के डैमेज के कारण ट्रेक्शन मोटरों में आंतरिक खराबी और उनके फेल होने तथा व्हील्स (पहियों) में पड़ रही दरारों की वजह से ट्रेक और ब्रिज बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. इन पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिए जाने की जरूरत है. क्योंकि भा.रे. का वर्तमान ढांचा एवं इसकी आंतरिक संरचना तथा रोलिंग स्टॉक फिलहाल अतिरिक्त बोझ वहन करने की स्थिति में नहीं है. पूर्व एमई ने उपरोक्त तथ्यात्मक ज्ञान सभी जोनों के प्रिंसिपल चीफ इंजीनियरों को दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में हालांकि सिगनल डिपार्टमेंट ने काफी बेहतर काम किया है, परंतु ट्रेन ऑपरेशंस को और विश्वसनीय बनाने के लिए इसमें अभी और ज्यादा सुधार की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक विकास के साथ ही मानव संसाधन के भी सतत विकास की आवश्यकता है. यह एक आधारभूत जरूरत है और अत्यंत आवश्यक किस्म की जरूरत है, क्योंकि जो भी परिसंपत्तियां हैं, उनके सुरक्षित रखरखाव के लिए पर्याप्त मानव संसाधन का होना जरूरी है. रेलवे को अपने प्रशिक्षित एवं योग्य कार्मिकों को न सिर्फ अपने पास रोके रखने की जरूरत है बल्कि इस मानव संसाधन में लगातार विकास करते रहने की आवश्कता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जूनियर स्केल कैडर स्ट्रेंथ कंस्ट्रक्शन में तीन गुना और ओपन लाइन में न्यूनतम दो गुना बढ़ाई जानी चाहिए. इसके साथ ही वर्तमान से कम से कम दो गुना स्ट्रेंथ सीनियर स्केल में बढ़ाई जानी चाहिए.
रिपोर्ट में सभी पीसीई को निर्देश दिया गया है कि रोड ओवर ब्रिजेज की ओपनिंग के साथ ही लेवल क्रासिंग गेटों को तुरंत बंद कर दिया जाए. यदि जरूरत हो तो हल्के वाहनों के लिए आरओबी के निर्माण के साथ ही अंडरपास बनाया जाए, मगर इसकी बजटिंग भी प्लानिंग स्तर पर ही कर ली जानी चाहिए.
पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण ने अपने सभी पीएचओडी'ज से कहा कि वे ऑपरेटिंग रेशियो को नीचे लाने/कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं. एफए एंड सीएओ/पू.रे. ने कहा कि पू.रे. के उच्च ऑपरेटिंग रेशियो के तीन प्रमुख कारण हैं. इनमें पहला है कि इस रेलवे में तीन वर्कशॉप हैं. दूसरे वैगन टर्न एराउंड का कम होना जो कि स्पीड बढ़ाने से कवर किया जा सकता है तथा तीसरा कारण पू.रे. में शार्ट लीड के कारण आवश्यक अर्निंग कम दिखती है, जबकि ओरिजनेटिंग अर्निंग काफी ज्यादा है. पूर्व रेलवे में इंजी. विभाग में पदों का सृजन करते समय ट्रेकमैनों की कुछ पोस्टों के सरेंडर के लिए सीपीओ का कहा गया. सीपीओ ने बताया कि इस संदर्भ में रेलवे बोर्ड ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं.
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27/05/2009
सामने आने लगे हैं अतिरिक्त लोडिंग के परिणाम बता रही है पूर्व एमई की निरीक्षण रिपोर्ट
गलत गतिविधियों में लिप्त पाए गए 8500 से ज्यादा रेलकर्मी/अधिकारी
नयी दिल्ली : रेल प्रशासन की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार एवं अवैध गतिविधियों के खिलाफ चलाई गई एक मुहिम के अंतर्गत 8500 से ज्यादा रेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दोषी पाया गया है. विभिन्न अनियमितताओं और धोखाधड़ी में लिप्त पाए गए इन रेल अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.
नवंबर 2008 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सतर्कता निदेशालय, रेलवे बोर्ड द्वारा चलाई गई मुहिम के अंतर्गत 25,845 चेक किए गए. इसमें कुल 8,638 रेल कर्मचारियों, जिनमें से 117 राजपत्रित अधिकारी भी शामिल हैं, को ट्रैफिक अंडर चार्जेज एवं स्टाफ को धोखाधड़ी पूर्ण भुगतान के विभिन्न मामलों में दोषी पाया गया है.
ज्ञातव्य है कि विश्व के एकमात्र सबसे बड़े रोजगार प्रदाता भारतीय रेल में करीब 13000 राजपत्रित अधिकारियों सहित कुल मिलाकर करीब 14 लाख के आसपास रेल कर्मचारी हैं. इनमें जो धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं, उनकी कुल संख्या 1403 है. इनमें से 1395 गैर राजपत्रित कर्मचारी हैं, जबकि इनमें दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली के 8 राजपत्रित अधिकारी गलत गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं. इसी प्रकार उत्तर रेलवे दिल्ली के 1334, दक्षिण रेलवे चेन्नई के 760 और पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर के 728 अधिकारी-कर्मचारी लिप्त पाए गए हैं.
रेल प्रशासन में पारदर्शिता (ट्रांसपैरेंसी) और दायित्व (एकाउंटेबिलिटी) लाने के लिए सतर्कता संगठन द्वारा लगातार इस प्रकार की जांचें और चेक किए जाते हैं. रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि आने वाले महीनों में रेलवे रेवेन्यु लीकेज को रोकने के लिए इस तरह के चेक लगाकर चलाए जाएंगे. नवंबर 2008 तक की मुहिम में रेलवे को 79.88 करोड़ रुपए का फायदा हुआ. इसके अलावा रेलवे ने इस दरम्यान सर्वाधिक खराब क्षेत्रों में 10 सेक्टर्स की पहचान की गई है, जहां लगातार सतर्कता बरतने की जरूरत है. इसके अलावा कन्सेशंस का गैर इस्तेमाल/दुरुपयोग, ट्रैफिक बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर अमल और सामान्य कोचों में अनारक्षित टिकटों और आरक्षित कोचों में आरक्षित टिकटों के फ्रॉड आदि के चेक करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार रेल मंत्रालय द्वारा एग्रीड एवं सीक्रेट दो सूचियां बनाई जाती हैं। इसका मकसद भ्रष्टाचार पर सतत नजर रखना और उन अधिकारियों-कर्मचारियों पर लगातार नजर रखना होता है, जिनकी विश्वसनीयता (इंटेग्रिटी) संदिग्ध होती है। जिन अधिकारियों की विश्वसनीयता संदिग्ध होती है, उनकी सूचीसीबीआई के साथ मिलकर बनाई जाती है. जबकि सीक्रेट लिस्ट में उन अधिकारियों के नाम रखे जाते हैं, जिनकी विश्वसनीयता स्वीकृत जांच रिपोर्ट अथवा प्रमाणित भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत संदिग्ध होती है. इन दोनों सूचियों में शामिल अधिकारियों को संवेदनशील पोस्टों पर पोस्टिंग से अलग रखा जाता है.
नई पेंशन योजना (एनपीएस)
पेंशन पाने का अधिकार
नई पेंशन योजना (एनपीएस) 2004 के बाद नौकरी में आए सरकारी कर्मचारियों के लिए पहले से ही लागू थी, लेकिन अब इसे देश की बाकी आबादी के लिए भी खोल दिया गया है। जीवन भर राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने वाले हर व्यक्ति के प्रति राष्ट्र का यह दायित्व बनता है कि वह उसके बुढ़ापे के लिए भी कुछ स्थायी नियमित आय की व्यवस्था करे. उम्मीद की जानी चाहिए कि एनपीएस देश के हर नागरिक को सुरक्षित निवेश का एक विकल्प देगी. सरकारी ट्रेड यूनियनों और वामपंथी दलों का पेंशन प्रबंधन में किसी भी किस्म के फेरबदल को लेकर किया जाने वाला विरोध इस तथ्य की अनदेखी पर टिका हुआ था कि पेंशन और पीएफ पर दिया जाने वाला ब्याज इस रकम के उत्पादक निवेश के अभाव में एक तरह के सरकारी अनुदान की शक्ल ले चुका है. एनपीएस का सबसे पहला मकसद ही यही है कि इस मद में जमा होने वाली राशि सिर्फ खातों की शोभा बढ़ाने के काम न आए, और लगातार उत्पादन प्रक्रिया का हिस्सा बनी रहे. इसमें शामिल होने वाले हर निवेशक को यह तय करने का अधिकार होगा कि सरकारी बांड, कॉरपोरेट बांड और शेयर बाजार के तीन विकल्पों में वह अपना कितना पैसा कहां लगाए. जहां तक सवाल सरकारी बांड और कॉरपोरेट बांड का है, इनमें लगाया गया पैसा कमोबेश फिक्स डिपॉजिट जैसा ही है. तीसरे, यानी शेयर वाले विकल्प के साथ ज्यादा मुनाफा और ज्यादा जोखिम वाली बात जुड़ी है. शेयर बाजार के उतार-चढ़ावों को ध्यान में रखते हुए इसमें निवेश पर 50 प्रतिशत की बंदिश रखी गई है, यानी कोई चाहे तो भी अपने पेंशन फंड का आधे से ज्यादा हिस्सा शेयर बाजार में लगाने को नहीं कह सकता. यह रकम भी किसी खास शेयर में नहीं बल्कि निफ्टी-फिफ्टी और बीएसई-30 जैसे इंडेक्स फंडों में ही लगाई जा सकती है, जिनके दायरे में सबसे ज्यादा भरोसेमंद और कमाऊ कंपनियों के शेयर आते हैं. एनपीएस एक नजर में किसी बैलेंस म्यूचुअल फंड जैसी मालूम पड़ती है, लेकिन एक मामले में यह उनसे बेहतर है. इसमें फंड मैनेजमेंट के लिए वसूली जाने वाली राशि काफी कम है. म्यूचुअल फंड इस काम के लिए निवेशित रकम का सवा दो प्रतिशत लेते हैं जबकि एनपीएस में यह राशि कुछ फिक्स चार्जेज को छोड़ कर एक प्रतिशत से भी कम पड़ेगी. पेंशन के लिए 500 रुपये महीने जैसी छोटी रकम लगाने वालों के लिए ये फिक्स चार्जेज काफी भारी पेड़ेंगे, लिहाजा यह सौदा उन्हें महंगा लग सकता है. इसके अलावा इस योजना की तीन और खामियां भी हैं. इसमें कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है, 58 साल की उम्र होने से पहले इससे पैसा नहीं निकाला जा सकता, और इसे आधार बनाकर कोई लोन नहीं लिया जा सकता. इन खामियों पर ध्यान देकर अर्थव्यवस्था के लिए काफी काम की साबित होने वाली स्कीम को आम निवेशकों के लिए और ज्यादा आकर्षक बनाया जा सकता है.
सभी के लिए हुई नई पेंशन स्कीम लागू
नयी दिल्ली : देश में शुक्रवार 1 मई से नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) शुरू हो गई है. वर्ष 2004 से नए सरकारी कर्मचारियों के लिए यह पहले से लागू थी. अब इसे सभी के लिए खोल दिया गया है. सरकार द्वारा यह सामाजिक सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है. यह पीएफ की तरह तयशुदा रिटर्न वाली स्कीम नहीं है. इसका पैसा शेयर, सरकारी बांड और कॉरपोरेट बांड में लगाया जाएगा. फंड मैनेज करने का काम छह कंपनियों को सौंपा गया है. पेंशन फंड एंड डेवलपेमेंट अथॉरिटी उन पर नजर रखेगी.
एनपीएस 58 साल की उम्र के बाद फायदा देगी. बीच में पैसा नहीं निकाला जा सकता. यह तय करने का हक निवेशक को है कि तीनों विकल्पों में से किसमें कितना पैसा लगे. यह काम फंड मैनेजर पर भी छोड़ा जा सकता है. तब शेयरों में 15' ही लगाया जाएगा. किसी भी हाल में शेयरों में 50' से ज्यादा नहीं लगाया जा सकता. इस योजना का सारा हिसाब-किताब नेशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) रखेगा. वहां अकाउंट खुलवाने के लिए 50 रुपए देने होंगे. सालाना चार्ज 350 रुपए है. हर ट्रांजेक्शन की फीस 10 रुपए होगी. आसान पहुंच के लिए कुछ बैंकों को पॉइंट ऑफ प्रेजेंस बनाया गया है. उनकी ब्रांच में जाकर अकाउंट खुलवाया जा सकता है. इसका चार्ज 20 रुपए होगा. ट्रांजेक्शन फीस भी 20 रुपए है. म्युचुअल फंड में लगभग सवा दो प्रतिशत का एंट्री लोड और डेढ़ पर्सेंट का मैनेजमेंट चार्ज होता है. इसके मुकाबले एनपीएस में फीस 0.0009' ही बैठती है. लेकिन एकाउंट के चार्ज इसका मजा खराब कर रहे हैं. यह किफायती तभी होगा, जब ज्यादा पैसा लगाया जाए. गौरतलब यह भी है कि इस स्कीम में किसी भी स्टेज पर टैक्स छूट नहीं है. हालांकि पेंशन फंड एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने सरकार से इसकी मांग की है.
इस बीच, देश के हर नागरिक के लिए 1 मई से उपलब्ध नई पेंशन प्रणाली को कर प्रोत्साहन के अभाव में धीमी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना व्यक्त की गई है. पेंशन नियामक (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष डी. स्वरूप ने मुंबई में कहा, हालांकि प्रतिक्रिया के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इसकी शुरुआत धीमी रहेगी. हमें नहीं लगता कि शुरुआत में भारी तादाद में लोग इस योजना को लेगें. उन्होंने कहा कि एनपीएस 2004 से केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य बना दी गई थी, जिसे पिछले साल 14.5 फीसदी अच्छा मुनाफा मिला था. लंबी अवधि में सभी नागरिकों को दी जानेवाली इस पेंशन प्रणाली का प्रदर्शन भी अच्छा रहेगा. उन्होंने कहा कि यह योजना धीमी गति से रफ्तार पकडग़ी, क्योंकि यह स्वैच्छिक है और इस पर कोई कर रियायत नहीं मिलेगी. श्री स्वरूप ने इससे पहले संकेत दिया था कि पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकार (पीएफआरडीए) एनपीएस के मामले में कर छूट के मुददे को आम चुनाव के बाद बनी नई सरकार के पास ले जाएगा.
एनपीएस की विशेषताएं
1. यह योजना 18 से 55 वर्ष के बीच की आयुवर्ग के लोगों के लिए.
2. न्यूनतम निवेश 500 रुपए मासिक या 6,000 रुपए प्रति वर्ष.
3. रिस्क के आधार पर एनपीएस में दो इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं. पहला है एक्टिव च्वॉइस (जिसमें इन्डीविजुअल फंड असेट क्लास ई सी और जी हैं) तथा दूसरा ऑप्शन ऑटो च्वॉयस है. ऑटो च्वॉयस में उम्र के हिसाब से अपने आप जोखिम निर्धारित होती है.
4. निवेशक अपनी पूंजी को इक्विटी (ई) क्रेडिट रिस्क बियरिंग इनकम इंस्टू्रमेंट (सी) और गवर्मेंट सिक्यूरिटी (जी)में बांट कर निवेश कर सकता है.
5. निवेशक 6 फंड मैनेजर में से किसी को भी चुन सकते हैं.
6. 60 वर्ष की उम्र में आपको कम से कम अपनी सेविंग का 40 प्रतिशत किसी इंश्योंरेंस कंपनी की एन्यूटी खरीदने में लगाना होगा.
7. 60 वर्ष के होने से पहले भी आप कुल सेविंग में से 20 प्रतिशत तक की निकासी कर सकते हैं लेकिन फिर आपको बची हुई 80 प्रतिशत की एन्यूटी खरीदनी होगी.
धीरे - धीरे दिखाई देगा जोश
नई पेंशन योजना (एनपीएस) में को लेकर धीरे-धीरे लोगों को उत्साह दिखाई देने लगा है. निवेशक निवेश सलाहकारों की राय जान रहे हैं तो आम कर्मचारी वर्ग इसके नफे-नुकसान का गणित आपसी विचार-विमर्श से समझ रहे हैं. जहां कुछ वित्त विशेषज्ञ अपने क्लाइंट्स को इस स्कीम में निवेश के लिए कुछ समय रुकने की सलाह दे रहे हैं, वहीं कुछ वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि इस स्कीम में फंड मैनेजमेंट चार्जेज व अन्य खर्चे न्यूनतम हैं, इसलिए जिन्हें सिर्फ पेंशन में ही निवेश करना है उनके लिए यह स्कीम बेहतर है.
स्कीम के बारे में कुछ वित्तीय जानकारों का मानना है कि शेयरों में निवेश की 50 प्रतिशत की बंदिश आकर्षक नहीं है. इसका मतलब यदि कोई एक हजार रुपया निवेश करता है तो 500 रुपए तो उसके डेट इंस्ट्रूमेंट में ही निवेश हो जाएंगे. और यहां रिटर्न भी तय नहीं है. ऐसे में जब आपके पास पीपीएफ और ईपीएफ जैसे विकल्प हों, जो कि आपको 8 प्रतिशत रिटर्न की गारंटी देते हैं, तो ऐसे में क्या फायदा है इस स्कीम में सी और जी ऑप्शन में निवेश करने से. गौरतलब है कि सी मतलब मीडियम रिस्क और रिटर्न वहीं जी कम रिटर्न और कम रिस्क प्रदान करता है. कई वित्तीय सलाहकारों का इस बाबत कहना है, चूंकि स्कीम में चार्जेज बहुत कम हैं इसलिए इसका रिटर्न अन्य पेंशन प्लान के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
उदाहरण के लिए यदि कोई 30 वर्षीय व्यक्ति हर तिमाही दस हजार रुपए स्कीम में 30 वर्ष तक निवेश करता है और माना जाए कि हर वर्ष 10 प्रतिशत रिटर्न मिलेगा तो अंत में उसके अकाउंट में 69 लाख रुपए इकठ्ठा होंगे. वहीं ठीक ऐसा ही इनवेस्टमेंट इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा ऑफर प्लान में किया जाए तो अधिकतम 56 लाख और न्यूनतम 12 लाख रुपए इकठ्ठा होंगे. इस डिफरेंस के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह एनपीएस का फंड मैनेजमेंट चार्जेज अन्य के मुकाबले कम होना है. लोग इसका मुकाबला पीएफ से कर रहे हैं लेकिन पीएफ और पेंशन दोनों के बिल्कुल अलग-अलग फायदे हैं. पीएफ शॉर्ट टर्म को ध्यान में रखकर की गई बचत है जहां एक समय ही पैसा निकाल सकते हैं जबकि पेंशन जब तक आप जिंदा हैं, तब तक मिलती है.
हालांकि कुछ वित्तीय विशेषज्ञ इसके टैक्स ट्रीटमेंट को लेकर काफी नाखूश हैं. उनका कहना है कि यदि आप किसी इक्विटी स्कीम में एक साल से ज्यादा के लिए निवेश करते हैं तो आपको किसी तरह का कैपिटल गैन टैक्स नहीं देना होगा तथा पीपीएफ में भी परिपक्वता के वक्त किसी तरह का टैक्स नहीं है. लेकिन एनपीएस में निवेश करने पर यदि आप टैक्स से बचना चाहते हैं तो आपको अपना कारपस एन्यूटी खरीदने में भी लगाना होगा. उनका मानना है कि इससे बेहतर है कि आप किसी इंडेक्स फंड में ही निवेश कर लें. ताकि आपको फ्लेक्सीबिलिटी और कारपस को लेकर पूरी स्वतंत्रता मिल जाए. जो कि नई पेंशन स्कीम में नहीं है. और जबकि वहां भी सिर्फ इंडेक्स स्कीम में ही निवेश किया जाएगा. हालांकि एनपीएस की अन्य पेंशन स्कीम से तुलना जारी है लेकिन जब बात न्यूनतम खर्च और इसे कुछ ही महीनों में मिलने वाले स्पेशियल टैक्स ट्रीटमेंट के अंदेशे की होने लगती है तो नई पेंशन योजना बाजी मार ले जाती है.
आशा की नई किरण
जीवन के सुनहरे दौर में हाथ में नियमित आमदनी नहीं आने की वजह से पैसे के लिए मोहताज हो, न जाने कितने ही उम्र दराज लोगों की आंखें मौत के अंतहीन इंतजार में लगी रहती हैं. परिवार में बोझ के बनने की पीड़ा का एहसास आज भारत के करोड़ों परिवारों पर वृद्धावस्था से गुजर रहे लोग रोजाना भोग रहे हैं. दरअसल इसकी वजह है वृद्धावस्था में नियमित रूप से दो पैसा हाथ में आता रहे, इसकी व्यवस्था का न होना. स्व-रोजगार में रहे लोगों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था पहले थी ही नहीं. लेकिन अब सरकार ने भारत की उस विशाल आबादी को उनके सेवानिवृत्त जीवनकाल में नियमित आमदनी द्वारा सुरक्षा प्रदान करने के लिए नई पेंशन योजना का विकल्प प्रदान किया है.
तो क्या इसके पहले प्रभावी पेंशन योजनाएं हमारे देश में नहीं थीं? ऐसी कोई बात नहीं है, पहले से विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों व म्यूचुअल फंडों की पेंशन योजनाएं बाजार में उपलब्ध हैं और खुद सरकार द्वारा पीएफ, पीपीएफ जैसी बड़ी व आकर्षक स्कीमें मौजूद हैं लेकिन यह नई स्कीम अन्य से इस मायने में अलग है कि यहां न्यूनतम निवेश 6 हजार रुपए सालाना या हर महीने 500 रुपए है. जबकि अभी बाजार में उपलब्ध अन्य इंश्योरेंस आदि का पेंशन के लिए न्यूनतम निवेश 25 से 30 हजार रुपए सालाना है. इसलिए एक बहुत बड़ी आबादी पेंशन में इन्वेस्ट करने से छूट रही थी. आम जनता के लिए यह एक अच्छी निवेश योजना है.
लेकिन अभी तक आम लोगों में इस योजना को लेकर ज्यादा उत्साह क्यों दिखाई नहीं दे रहा? हालांकि नहीं ऐसा नही कहा जा सकता क्योंकि यह नया कंसेप्ट है, इसलिए इसे लोकप्रिय होने में 1 से 3 वर्ष का समय लगेगा. चूंकि इसके लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स जैसे ब्रोकर्स व एजेंट्स वाला ईको सिस्टम नहीं है, जो कि बाजार में इस प्रोडक्ट के लिए उत्साह पैदा करे. यहां यह रोल पीएफआरडीए और पीओपी (जो कि बैंक हैं) में विभाजित है, इसका डिजाइन थोड़ा अलग है. यहां कस्टमर खुद चलकर आएं और पीओपी से बात करें.
क्या हमारे देश में इतनी जागरुकता है कि आम आदमी चलकर पीओपी के पास आएगा? इसका जवाब यह हो सकता है कि वैसे भी हमारे देश में वित्तीय जागरुकता बहुत कम है और पेंशन के लिए सेविंग तो प्राथमिकता की सूची में सबसे अंतिम स्थान पर है. ऐसे में इस प्रभावी योजना के लिए पीओपी को खुद प्रशिक्षित करना होगा. लेकिन इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे. निजी बीमा कंपनियां तो पहले ही पेंशन योजनाओं को लेकर तेजी से जागरुकता फैला रही हैं. कस्टमर के एकाउंट पीओपी के पास खुलेंगे. वे अपनी ब्रांच में पोस्टर आदि द्वारा जागरुकता फैला सकते हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि यदि इस योजना में पीएफ और पीपीएफ की तरह स्पेशल टैक्स बेनिफिट्स प्रदान किया जाए जिसमें परिपक्वता के वक्त जो राशि हो वह टैक्स फ्री हो. तो यह स्कीम तेजी से जोर पकड़ेगी. लेकिन क्या आम आदमी इनवेस्टमेंट के लिए उपलब्ध विभिन्न असेट क्लास की रिस्क को समझ कर चुनाव कर पाएगा?
इस पर यह कहा जा रहा है कि नई पेंशन योजना में निवेश के लिए दो च्वॉइस रखी गई है. एक्टिव च्वॉइस व ऑटो च्वॉइस. ऑटो च्वॉइस उन लोगों के लिए एक बेहतरीन व्यवस्था है जो एक्टिव च्वॉइस में उपलब्ध इक्विटी क्रेडिट रिस्क वाले इनकम इंस्टमेंट और सरकारी प्रतिभूतियों में जानकारी के अभाव में अपने निर्णय द्वारा निवेश नहीं कर सकते. ऐसे में ऑटोफीचर का चुनाव उनके लिए बेहतरीन है. जहां व्यक्ति की, उम्र के हिसाब से उसका पैसा रेग्यूलेट होता है. यदि व्यक्ति की उम्र 25 वर्ष है तो कुल निवेश का 55 प्रतिशत इक्विटी में और यदि व्यक्ति 55 वर्ष का है तो 10 प्रतिशत इक्विटी में निवेशित होगा.
सरकार इसे इतनी देरी से क्यों लाई? इसका जवाब यह है कि बचत व जोखिम कवर करना भारतीयों की फितरत में नहीं है. इसलिए इस प्रोडक्ट को भी खुला छोड़ देंगे तो रेस्पांस नहीं आएगा क्योंकि यहां प्रोडक्ट फंड मैनेजमेंट की बेहतर क्वालिटी व कम चार्जेज होने के बावजूद बेचने के लिए किसी एजेंट को कमीशन नहीं मिलेगा. इसलिए जागरूकता के लिए काफी कोशिशें करनी होंगी.
इस स्कीम में मॉर्टेलिटी चार्जेज, पहली बार में प्रीमियम लोकेशन चार्जेज नहीं हैं, और अग्रणी छह फंड मैनेजर्स न्यूनतम फंड मैनेजमेंट चार्जेज में इसे मैनेज करेंगे तो ज्यादा पैसा लोकेट होगा और ज्यादा पैसा सेविंग में जाएगा. इससे कारपस (पूंजी) ज्यादा इकठ्ठा होगी और चार्जेज कम होने व निपुणता के चलते मार्केट में अच्छी डील मिलेगी और ज्यादा रिटर्न मिलने से नागरिकों को फायदा होगा.
Railways set up committee to overhaul training process
As part of its modernisation process, Railways have set up a committee to overhaul training methodologies for its officers to raise their efficiency level.
The four-member committee, comprising adviser of Railway Board as its chairman and three executive directors from different departments, is expected to submit its report within 45 days, a senior Railway Ministry official told a news agency.
“They will evaluate the training needs of probationers of Indian Railways keeping in view the changing environment in the transport sector and initiation of a vibrant new culture in governance,” he said.
The Railways is currently in the midst of modernising its resources and plans to pump in crores of rupees for Dedicated Freight Corridor (DFC) project among other ambitious schemes.
Railways felt the existing training pedagogies, which has remained the same for long, was inadequate and lagging behind the advancements that have taken place over the years, the officer said.
New entrants are provided training at the Railway Staff College in Vadodara to help them understand the nuances of railway operations.
The committee would further review the content and duration of the training module keeping in view the evolving learning methodology prevalent in the corporate sector, PSUs and other civil services, the official said.
Railways have already involved its frontline staff in short-term capsule programme that focussed on making the staff more passenger-friendly.
26/05/2009
Modified ACP
No.35034/3/2008-Estt. (D)
Government of lndia
Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions
(Department of Personnel and Training)
North Block, New Delhi, the 19th May, 2009
MODIFIED ASSURED CAREER PROGRESS/ON SCHEME (MACPS) FOR THE
CENTRAL GOVERNMENT CIVIL/AN EMPLOYEES.
The Sixth Central Pay Commission in Para 6.1.15of its report, has recommended
Modified Assured Career Progression Scheme(MACPS). As per the recommendations,
financial upgradation will be available in the next higher grade pay whenever an
employee has completed 12 years continuous service in the same grade. However, not
more than two financial upgradations shall be given in the entire career, as was provided
in the previous Scheme. The Scheme will also be available to all posts belonging to
Group "A" whether isolated or not. However, organised Group "A" services will not be
covered under the Scheme
2. The Government has considered the recommendations of the Sixth Central Pay
Commission for introduction of a MACPS and has accepted the same with further
modification to grant three financial upgradations under the MACPS at intervals of 10,
20 and 30 years of continuous regular service.
3. The Scheme would be known as "MODIFIED ASSURED CAREER PROGRESSION.
SCHEME (MACPS) FOR THE CENTRAL GOVERNMENT CIVILIAN EMPLOYEES. This
Scheme is in supersession of previous ACP Scheme and clarifications issued there under
and shall be applicable to all regularly appointed Group "A", "B", and "C" Central
Government Civilian Employees except officers of the Organised Group "A" Service.
The status of Group "0" employees would cease on their completion of prescribed
training, as recommended by the Sixth Central Pay Commission and would be treated as
Group "C" employees. Casual employees, including those granted 'temporary status' and
employees appointed in the Government only on adhoc or contract basis shall not
qualify for benefits under the aforesaid Scheme. The details of the MACP Scheme and
conditions for grant of the financial upgradation under the Scheme are given in
Annexure-l.
4. An Screening Committee shall be constituted in each Department to consider the case
for grant of financial upgradations uhder the MACP Scheme. The Screening Committee
shall consist of a Chairperson and two members. The members of the Committee shall
comprise officers holding posts which are at least one level above the grade in which
the MACP is to be considered and not below the rank of Under Secretary equivalent in
the Government. The Chairperson should generally be a grade above the members of
the Committee.
5. The recommendations of the Screening Committee shall be placed before the
Secretary in cases where the Committee is constituted in the MinistrylDepartment or
before the Head of the organisation/competent authority in other cases for approval.
6. ln order to prevent undue strain on the administrative machinery, the Screening
Committee shall follow a time-schedule and meet twice in a financial year - preferably
in the first week of January and first week of July of a year for advance processing of
the cases maturing in that half. Accordingly, cases maturing during the first-half (April-
September) of a particular financial year shall be taken up for consideration by the
Screening Committee meeting in the first week of January. Similarly, the Screening
Committee meeting in the first week of July of any financial year shall process the cases
that would be maturing during the second-half (October-March) of the same financial
year.
7. However, to make the MACP Scheme operational, the Cadre Controlling
Authorities shall constitute the first Screening Committee within a month from the date
of issue of these instructions to consider the cases maturing upto 30th June, 2009 for
grant of benefits under the MACPS.
8. ln so far as persons serving in The lndian Audit and Accounts Departments are
concerned, these orders issue after consultation with the Comptroller and Auditor
General of lndia.
9. Any interpretation/clarification of doubt as to the scope and meaning of the
provisions of the MACP Scheme shall be given by the Department of Personnel and
Training (Establishment-D). The scheme would be operational w.e.f. 01.09.2008. ln
other words, financial upgradations as per the provisions of the earlier ACP Scheme (of
August, 1999) would be granted till 31.08.2008.
10. No stepping up of pay in the pay band or grade pay would be admissible with.
regard to junior getting more pay than the senior on account of pay fixation under
MACP Scheme.
11. It is clarified that no past cases would be re-opened. Further, while
implementing the MACP Scheme, the differences in pay scales on account of grant of
financial upgradation under the old ACP Scheme (of August 1999) and under the MACP
Scheme within the same cadre shall not be construed as an anomaly.
(S.Jai•nend1K"um~ar)--
Deputy Secretary to the Govt. Of lndia
1. President's SecretariatNice President's Secretariat/prime Minister's Office/Supreme
CourtlRajya Sabha Secretariat/Lok Sabha Secretariat/ Cabinet
Secretariat/UPSC/CYC/C&AG/Central Administrative Tribunal (Principal Bench), New
Delhi.
2. All attached/subordinate offices of the Ministry of Personnel, Public Grievances and
Pensions.
3. Secretary, National Commission for Minorities.
4. Secretary, National Commission for Scheduled Castes/Scheduled Tribes
5. Secretary, Staff Side, National Council OCM), 13-C, Ferozeshah Road, New Delhi
6. All Staff Side Members of the National Council OCM)
7. Establishment (D) Section - 1000 copies
8. N1C, DoPT, North Block for up-loading of the OM in DoPT website.
1. There shall be three financial upgradation s under the MACPS, counted from the
direct entry grade on completion of 10, 20 and 30 years service respectively. Financial
upgradation under the Scheme will be admissible whenever a person has spent 10 years
continuously in the same grade-pay.
2. The MACPS envisages merely placement in the immediate next higher grade
pay in the hierarchy of the recommended revised pay bands and grade pay as given in
Section 1 , Part-A of the first schedule of the CCS (Revised Pay) Rules, 2008. Thus, the
grade pay at the time of financial upgradation under the MACPS can, in certain cases
where regular promotion is not between two successive grades, be different than what is
available at the time of regular promotion. ln such cases, the higher grade pay attached
to the next promotion post in the hierarchy of the concerned cadre/organisation will be
given only at the time of regular promotion.
3. The financial upgradation s under the MACPS would be admissible up-to the
highest grade pay of Rs. 12000/ in the PB-4.
4. Benefit of pay fixation available at the time of regular promotion shall also be
allowed at the time of financial upgradation under the Scheme. Therefore, the pay shall
be raised by 3% of the total pay in the pay band and the grade pay drawn before such
upgradation. There shall, however, be no further fixation of pay at the time of regular
promotion if it is in the same grade pay as granted under MACPS. However, at the time
of actual promotion if it happens to be in a post carrying higher grade pay than what is
available under MACPS, no pay fixation would be available and only difference of grade
pay would be made available. To illustrate, in case a Government Servant joins as a
direct recruit in the grade pay of Rs. 1900 in PB-l and he gets no promotion till
completion of 10 years of service, he will be granted financial upgradation under MACPS
in the next higher grade pay of Rs. 2000 and his pay will be fixed by granting him one
increment plus the difference of grade pay (i.e. Rs. 100). After availing financial
upgradation under MACPS, if the Government servant gets his regular promotion in the
hierarchy of his cadre, which is to the grade of Rs. 2400, on regular promotion, he will
only be granted the difference of grade pay between Rs. 2000 and Rs. 2400. No
additional increment win be granted at this stage.
5. Promotions earned/upgradation~ granted under the ACP Scheme in the past to
those grades which now carry the same grade pay due to merger of pay
scales/upgradations of posts recommended by the Sixth Pay Commission shall be
ignored for the purpose of granting upgradations under Modified ACPS.
The pre-revised hierarchy (in ascending order) in a particular organization was as
under:-
(a) A Government servant who was recruited in the hierarchy in the pre-revised pay
scale Rs. 5000-8000 and who did not get a promotion even after 25 years of
service prior to 1.1.2006,in his case as on 1.1.2006he would have got two financial
upgradations under ACP to the next grades in the hierarchy of his organization,
Le., to the pre-revised scales of Rs. 5500-9000 and Rs. 6500-10500.
(b) Another Government servant recruited in the same hierarchy in the pre-revised
scale of Rs. 5000-8000 has also completed about 25 years of service, but he got
two promotions to the next higher grades of Rs. 5500-9000 & Rs. 6500-10500
during this period.
ln the case of both (a) and (b) above, the promotions/financial upgradations
granted under ACP to the pre-revised scales of Rs. 5500-9000 and Rs. 6500-10500 prior
to 1.1.2006will be ignored on account of merger of the pre-revised scales of Rs. 5000-
8000, Rs. 5500-9000 and Rs. 6500-10500 recommended by the Sixth cpe. As per CCS
(RP) Rules, both of them will be granted grade pay of Rs. 4200 in the pay band PB-2.
After the implementation of MACPS, two financial upgradations will be granted both in
the case of (a) and (b) above to the next higher grade pays of Rs. 4600 and Rs. 4800 in
the pay band PB-2.
6. ln the case of all the employees granted financial upgradations under ACPS till
01.01.2006,their revised pay will be fixed with reference to the pay scale granted to them
under the ACPS.
6.1 ln the case of ACP upgradations granted between 01.01.2006 and 31.08.2008, the
Government servant has the option under the CCS (RP) Rules, 2008 to have his pay
fixed in the revised pay structure either (a) w.eJ. 01.01.2006 with reference to his prerevised
scale as on 01.01.2006; or (b) w.eJ. the date of his financial upgradation under
ACP with reference to the pre-revised scale granted under ACP. ln case of option (b),
he shan be entitled to draw his arrears of pay only from the date of his option i.e. the
date of financial upgradation under ACP.
6.2 ln cases where financial upgradation had been granted to Government servants in
the next higher scale in the hierarchy of their cadre as per the provisions of the ACP
Scheme of August, 1999, but whereas as a result of the implementation of Sixth CPe's
recommendations, the next higher post in the hierarchy of the cadre has been upgraded
by granting a higher grade pay, the pay of such employees in the revised pay structure
will be fixed with reference to the higher grade pay granted to the post. To illustrate, in
the case of Jr. Engineer in CPWD, who was granted ]"t ACP in his hierarchy to the grade
of Asstt. Engineer in the pre-revised scale of Rs.6500-10500 corresponding to the revised
grade pay of Rs.4200 in the pay band PB-2, he win now be granted grade pay of
Rs4600 in the pay band PB-2 consequent upon upgradation of the post of Asstt. Enggs.
ln CPWD by granting them the grade pay of Rs.4600 in PB-2 as a result of Sixth CPC's
recommendation. However, from the date of implementation of the MACPS, all the
financial upgradations under the Scheme should be done strictly in accordance with the
hierarchy of grade pays in pay bands as notified vide CCS (Revised Pay) Rules, 2008.
7. With regard to flxation of his pay on grant of promotion/flnancial upgradation
under MACP Scheme, a Government servant has an option under FR22 (1) (a) (1) to get
his pay flxed in the higher post/ grade pay either from the date of his
promotion/upgradation or from the date of his next increment viz. 1st July of the year.
The pay and the date of increment would be flxed in accordance with clariflcation no.2
of Department of Expenditure's O.M. N0.1/1/2008-1Cdated 13.09.2008.
8. Promotions earned in the post carrying same grade pay in the promotional
hierarchy as per Recruitment Rules shall be counted for the purpose of MACPS.
8.1 Consequent upon the implementation of Sixth CPe's recommendations, grade
pay of Rs. 5400 is now in two pay bands viz., PB-2 and PB-3. The grade pay of Rs. 5400
in PB-2 and Rs.5400 in PB-3 shall be treated as separate grade pays for the purpose of
grant of upgradations under MACP Scheme.
9. 'Regular service' for the purposes of the MACPS shall commence from the date
of joining of a post in direct entry grade on a regular basis either on direct recruitment
basis or on absorption/re-employment basis. Service rendered on adhoc/contract basis
before regular appointment on pre-appointment training shall not be taken into
reckoning. However, past continuous regular service in another Government
Department in a post carrying same grade pay prior to regular appointment in a new
Department, without a break, shall also be counted towards qualifying regular service
for the purposes of MACPS only (and not for the regular promotions). However,
beneflts under the MACPS in such cases shall not be considered till the satisfactory
completion of the probation period in the new post.
10. Past service rendered by a Government employee in a State Government/statutory
body/Autonomous body/Public Sector organisation, before appointment in the
Government shall not be counted towards Regular Service.
11. 'Regular service' shall include all periods spent on deputation/foreign service,
study leave and all other kind of leave, duly sanctioned by the competent authority.
12. The MACPS shall also be applicable to work charged employees, if their service
conditions are comparable with the staff' of regular establishment.
13. Existing time-bound promotion scheme, including in-situ promotion scheme, Staff'
Car Driver Scheme or any other kind of promotion scheme existing for a particular
category of employees in a Ministry/Department or its offices, may continue to be
operational for the concerned category of employees if it is decided by the concerned
administrative authorities to retain such Schemes, after necessary consultations or they
may switch-over to the MACPS. However, these Schemes shall not run concurrently
with the MACPS.
14. The MACPS is directly applicable only to Central Government Civilian employees.
1t will not get automatically extended to employees of Central Autonomous/Statutory
Bodies under the administrative control of a Ministry/Department. Keeping in view the
flnancial implications involved, a conscious decision in this regard shall have to be taken
by the respective Governing Body/Board of Directors and the administrative Ministry
concerned and where it is proposed to adopt the MACPS, prior concurrence of Ministry
of Finance shall be obtained.
15. lf a financial upgradations under the MACPS is deferred and not allowed after 10
years in a grade pay, due to the reason of the employees being unfit or due to
departmental proceedings, etc., this would have consequential effect on the subsequent
financial upgradation which would also get deferred to the extent of delay in grant of
first financial upgradation.
16. On grant of financial upgradation under the Scheme, there shall be no change in
the designation, classification or higher status. However, financial and certain other
benefits which are linked to the pay drawn by an employee such as HBA, allotment of
Government accommodation shall be permitted.
17. The financial upgradation would be on non-functional basis subject to fitness, in
the hierarchy of grade pay within the PB-1.Thereafter for upgradation under the MACPS
the benchmark of 'good' would be applicable till the grade pay of Rs. 6600/- in PB-3.
The benchmark will be 'Very Good' for financial upgradation to the grade pay of Rs.
7600 and above.
18. ln the matter of disciplinary/ penalty proceedings, grant of benefit under the
MACPS shall be subject to rules governing normal promotion. Such cases shall,
therefore, be regulated under the provisions of the CCS (CCA) Rules, 1965 and
instructions issued thereunder.
19. The MACPS contemplates merely placement on personal basis in the immediate
higher Grade pay /grant of financial benefits only and shall not amount to
actuallfunctional promotion of the employees concerned. Therefore, no reservation
orders/roster shall apply to the MACPS, which shall extend its benefits uniformly to all
eligible SC/ST employees also. However, the rules of reservation in promotion shall be
ensured at the time of regular promotion. For this reason, it shall not be mandatory to
associate members of SC/ST in the Screening Committee meant to consider cases for
grant of financial upgradation under the Scheme.
20. Financial upgradation under the MACPS shall be purely personal to the employee
and shall have no relevance to his seniority position. As such, there shall be no
additional financial upgradation for the senior employees on the ground that the junior
employee in the grade has got higher pay/grade pay under the MACPS.
21. Pay drawn in the pay band and the grade pay allowed under the MACPS shall be
taken as the basis for determining the terminal benefits in respect of the retiring
employee.
22. If Group "A" Government employee, who was not covered under the ACP
Scheme has now become entitled to say third financial upgradation directly, having
completed 30 year's regular service, his pay shall be fixed successively in next three
immediate higher grade pays in the hierarchy of revised pay-bands and grade pays
allowing the benefit of 3% pay fixation at every stage. Pay of persons becoming eligible
for second financial upgradation may also be fixed accordingly.
23. ln case an employee is declared surplus in his/her organisation and appointed in
the same pay-scale or lower scale of pay in the new organization, the regular service
rendered by him/her in the previous organisation shall be counted towards the regular
service in his/her new organisation for the purpose of giving nnancial upgradation under
the MACPS.
24. ln case of an employee after getting promotion/ACP seeks unilateral transfer on a
lower post or lower scale, he will be entitled only for second and third nnancial
upgradations on completion of 20/30 years of regular service under the MACPS, as the
case may be, from the date of his initial appointment to the post in the new
organization.
25. lf a regular promotion has been offered but was refused by the employee before
becoming entitled to a nnancial upgradation, no nnancial upgradation shall be allowed
as such an employee has not been stagnated due to lack of opportunities. If, however,
nnancial upgradation has been allowed due to stagnation and the employees
subsequently refuse the promotion, it shall not be a ground to withdraw the nnancial
upgradation. He shall, however, not be eligible to be considered for further nnancial
upgradation till he agrees to be considered for promotion again and the second the next
nnancial upgradation shall also be deferred to the extent of period of debarment due to
the refusal.
26. Cases of persons holding higher posts purely on adhoc basis shall also be
considered by the Screening Committee alongwith others. They may be allowed the
benent of nnancial upgradation on reversion to the lower post or if it is benencial vis-avis
the pay drawn on adhoc basis.
27. Employees on deputation need not revert to the parent Department for availing
the benent of nnancial upgradation under the MACPS. They may exercise a fresh option .
to draw the pay in the pay band and the grade pay of the post held by them or the pay
plus grade pay admissible to them under the MACPS, whichever is benencial.
lf a Government servant (tDC) in PB-l in the Grade Pay of Rs.1goo gets
his nrst regular promotion (UDC) in the PB-l in the Grade Pay of Rs.2400
on completion of 8 years of service and then continues in the same Grade
Pay for further 10 years without any promotion then he would be eligible
for 2nd nnancial upgradation under the MACPS in the PB-l in the Grade
Pay of Rs.2800 after completion of 18 years (8+10 years).
(ii) ln case he does not get any promotion thereafter, then he would get 3rd
nnancial upgradation in the PB-ll in Grade Pay of Rs.4200 on completion
of further 10 years of service i.e. after 28 years (8+10+10).
(iii) However, if he gets 2nd promotion after 5 years of further service in the
pay PB-ll in the Grade Pay of Rs.4200 (Asstt. Grade/Grade "C") i.e. on
completion of 23 years (8+1O+5years) then he would get 3rd nnancial
upgradation after completion of 30 years i.e. 10 years after the 2nd ACP in
the PB-ll in the Grade Pay of Rs.4600.
In the above scenario, the pay shall be raised by 3% of the total pay in the
Pay Band and Grade Pay drawn before such upgradation. There shan,
however, be no further fixation of pay at the time of regular promotion if
it is in the same Grade Pay or in the higher Grade Pay. Only the
difference of grade pay would be admissible at the time of promotions.
If a Government servant (LDC) in PB-I in the Grade Pay of Rs.1900 is
granted 1st financial upgradation under the MACPS on completion of 10
years of service in the PB-l in the Grade Pay of Rs.2000 and 5 years later
he gets 1st regular promotion (UDC) in PB-I in the Grade Pay of Rs.2400,
the 2nd financial upgradation under MACPS (in the next Grade Pay w.r.t.
Grade Pay held by Government servant) will be granted on completion of
20 years of service in PB-I in the Grade Pay of Rs.2800. On completion of
30 years of service, he will get 3rd ACP in the Grade Pay of Rs. 4200.
However, if two promotions are earned before completion of 20 years,
only 3rd financial upgradation would be admissible on completion of 10
years of service in Grade Pay from the date 2nd promotion or at 30th year
of service, whichever is earlier.
If a Government servant has been granted either two regular promotions
or 2nd financial upgradation under the ACP Scheme of August, 1999 after
completion of 24 years of regular service then only 3rd financial
upgradation would be admissible to him under the MACPS on completion
of 30 years of service provided that he has not earned third promotion in
the hierarchy.
(S.Jainedra Kumar)
Deputy Secretary to the Govt. Of lndia.
Fw: Clarification regarding Pay Fixation Rules
- Suppose there is ALP appointed on 01 august 2003 and working in Grade 3050-4590 with Basic Pay Rs. 3200/-. Further he is promoted as a Sr.ALP grade 4000-6000 on 1 February 2006; Pay Fixed Rs. 4000/- & subsequently promoted as a LPG-II grade 5000-8000 on 1 August 2008; Pay Fixed Rs. 5000/-. So According to above Rules Pay should be fixed as below.
Specimen Fixation | |||||||||
Designation | Date of Appointment / Promotion | Pre-Revised | Corresponding | Fixation on 01-01-2006 onwards | |||||
Grade | Basic Pay | Pay Band | Grade Pay | Table | Basic Pay | Grade Pay | Total | ||
ALP | 01.08.2003 | 3050-4590 | Rs. 3,200.00 | 5200-20200 | Rs. 1,900.00 | FTR-2 | Rs. 6,780.00 | Rs. 1,900.00 | Rs. 8,680.00 |
Sr ALP | 01.02.2006 | 4000-6000 | Rs. 4,000.00 | 5200-20200 | Rs. 2,400.00 | FTR-3 | Rs. 8,480.00 | Rs. 2,400.00 | Rs. 10,880.00 |
Increment | 01-07-2006 | Rs. 330.00 | Rs. 8,810.00 | Rs. 2,400.00 | Rs. 11,210.00 | ||||
Promotional Increment | 01-07-2006 | Rs. 340.00 | Rs. 9,150.00 | Rs. 2,400.00 | Rs. 11,550.00 | ||||
Increment | 01-07-2007 | Rs. 350.00 | Rs. 9,500.00 | Rs. 2,400.00 | Rs. 11,900.00 | ||||
Increment | 01-07-2008 | Rs. 360.00 | Rs. 9,860.00 | Rs. 2,400.00 | Rs. 12,260.00 | ||||
LPG-II | 01.08.2008 | 5000-8000 | Rs. 5,000.00 | 9300-34800 | Rs. 4,200.00 | FTR-5 | Rs. 10,590.00 | Rs. 4,200.00 | Rs. 14,790.00 |
Increment | 01-07-2009 | Rs. 450.00 | Rs. 11,040.00 | Rs. 4,200.00 | Rs. 15,240.00 | ||||
Desgn | Date of Promotion | Pre-Revised | Revised (9300-34800+4200) PB-2 | Correct Fixation to be done as per Rule 5 (Switch Over Option) | |||||||
Grade | Basic Pay | Date | Pay | Grade Pay | Date | Table | Basic Pay | Grade Pay | Total | ||
LPG-II | 01.08.2001 | 5000-8000 | 5,600 | 01.01.2006 | 11,870 | 4,200 | 01.01.2006 | FTR-5 | 11,870 | 4,200 | 16,070 |
LPP-II | 01.02.2006 | 5500-9000 | 6,025 | 01.02.2006 | 01.02.2006 | FTR-6 | 12,770 | 4,200 | 16,970 | ||
01.07.2006 | 12,360 | 4,200 | 01.07.2006 | 12,770 | 4,200 | 16,970 | |||||
01-02-2007 | 6,200 | 01-07-2007 | 12,860 | 4,200 | 01-07-2007 | 13,280 | 4,200 | 17,480 | |||
01-02-2008 | 6,375 | 01-07-2008 | 13,380 | 4,200 | 01-07-2008 | 13,810 | 4,200 | 18,010 | |||
LPMExp | 01.08.2008 | 6000-9800 | 6,760 | 01.08.2008 | 01.08.2008 | FTR-7 | 14,320 | 4,200 | 18,520 | ||
01-07-2009 | 13,910 | 4,200 | 01-07-2009 | 14,880 | 4,200 | 19,080 |
for kind attention of Com. Joe D'souza |
for kind attention of Com. Bose |
for kind attention of Com. Joe D'souza |
PME Due Date
Copy of Railway Board’s letter No. 69/H/3/11 dated 06.12.1974
Subject: Implementation of the Recommendations of the Visual Sub-Committee.
6. Periodical re-examination of serving Railway Employees:
6.l. In order to ensure the continued ability of Railway employees in Classes A l, A 2, A 3, B l and B 2 to discharge their duties with safety, they will be required to appear for re-examination at the following stated intervals throughout their service as indicated below:
6.1.1. Classes A l, A 2 and A 3 —At the termination of every period of three years, calculated from the date of appointment until they attain the age of 45 years, and thereafter annually until the conclusion of their service.
Note: (l) The staff in categories A l, A 2 and A 3 should be sent for special medical examination in the interest of safety under the following circumstances unless they have been under the treatment of a Railway Medical Officer.
(a) Having undergone any treatment or operation for eye trouble irrespective of the duration of sickness.
(b) Absence from duty for a period in excess of 90 days.
(2) If any employee in medical category A has been periodically medically examined at any time within one year prior to his attaining the age of 45, his next medical examination should be held one year from the due date of the last medical examination and subsequent medical examination annually thereafter.
If, however, such an employee has been medically examined, at any time earlier, than one year prior to his attaining the age of 45, his next medical examination should be held on the date he attains the age of 45 and subsequent medical examination annually thereafter.
Ammendment: It was ammended in 1993 as below
Age Group PME Due
Age 00-45 every 4yrs
Age 45-55 every 2yrs
Age 55-60 every year
Details:-
As per Rly Bd's Guideline of Medical Exam issued vide LNo. 88/H/5/12 dated 24-01-1993
a) PME would be done at the termination of every period of 4 years from date of appointment / Initial medical Exam till the date of attainment of age of 45 years, every 2 years upto 55 years & there after annual till retirement.
b) Employees who has been periodically examined at any time within 2years prior to his attaining the age of 45years would be examined after 2years from the date of last PME & subsequent PME for every 2years upto 55years age.Of
NRMU 4 you
SMLokhande
6.1.2. Classes B-1 and B-2—On attaining the age of 45 years, and thereafter at the termination of every period of five years.